शायरी - मेरी खता नहीं
यहाँ चाहतों का सिला नहीं
यहाँ दोस्तों का मज़ा नहीं
यहाँ जाने कैसी हवा चली
रही दोस्तों में वफ़ा नहीं
यहाँ जल गया मेरा आशियाँ
बादलों को पता नहीं
तेरे दर पे दस्तक दे सकूँ
ये हक़ तूने दिया नहीं
मै राही हूँ राहें उम्मीद का
मुझे मज़िलों का पता नहीं
बेबस हूँ जहाँ में इस कदर
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं
मेरी सादगी में जुर्म है
कोई और मेरी खता नहीं
यहाँ जल गया मेरा आसियाँ
जवाब देंहटाएंबादलों को पता नही line mast hai
Nice bhai acha likha hai 👌👌
(Baba)
धन्यवाद बाबा
हटाएंबहुत सुन्दर भरत जी
जवाब देंहटाएंचाहतों
आशियाँ
बेबस
नहीं ||
सुधार कर लें इन्हें | लिखते रहिये पढ़ते रहिये
धन्यवाद अजय जी, सुधार हो चुका है l
हटाएंbahot badhya.
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंNice Line, Keep writing
जवाब देंहटाएंBook Rivers
Thank you so much
हटाएंVery Good lines 👌👌
जवाब देंहटाएंthanks sultan bhai
हटाएंGood work
जवाब देंहटाएंThanks salman
हटाएंबहुत सुन्दर भरत जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी
हटाएंलाजवाब ,बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंधञबाद्, ज्योति जी
हटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंThank you so much
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