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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मन की व्यथा

मन की व्यथा

















आज फिर उन बातों को हवा दे गई
जिसे दवा रखा था हृदय के किसी कोने में 
आज फिर उसे जगा गई 
मन शांत, तन शिथिल, धड़कन तेज़ और 
शिलाओं को क्षणभंगु का आभास करा  गई
उनकी मार्ग-दर्शन को ज्ञातव्य न करने के लिए 
मेरी उन्मुद चेतना सुला गई 
सोचा करें शिकायत, पर निशा बीती 
प्रभाकर आया और उनकी खुशियों 
की कामनाएं दिल से निकल गई 
मुरली मनोहर का इस तृण ने ध्यान किया 
हो गगनचुम्बी पद उनकी यही अरमान किया 
तृण की व्यथा से व्यापक, देवी उनको 
रुब-रु करा गई
आज फिर उन बातों को हवा दे गई  



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बुधवार, 29 अप्रैल 2020

रात

रात


रात ढलती रात, करवट बदलती रात
इस ओर से उस ओर जाती रात
बढ़ती अंधेरों में गम की अँधेरी रात 
मनुष्य को नींद की आगोश में लेती रात
चांदनी की सुंदरता बिखेरती रात 
गरदिश में सितारो को मिलती रात 
रात ढलती रात, करवट बदलती रात
इस ओर से उस ओर जाती रात    l 1 l 

                        विद्यार्थियों को शांति से पढ़ने देती रात 
                        तर्पण की विरहा में आशिको को जगाती रात 
                        चाँद-चकोर की प्रेम को समझाती रात 
                        मुझे किसी की अमिट याद दिलाती रात 
                        रात ढलती रात, करवट बदलती रात
                        इस ओर से उस ओर जाती रात     l 2 l 

हमें सपनो के दुनियाँ में डुबाती रात 
पक्षियों को अपना आशियाना ढुँढबाती रात 
अबला को भय का आभास कराती रात 
घनघोर अँधेरे के उपरांत सुबह को लाती रात 
रात ढलती रात, करवट बदलती रात
इस ओर से उस ओर जाती रात     l 3 l 



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रविवार, 26 अप्रैल 2020

गॉंव की धरती

गॉंव की धरती
गॉंव की धरती

वह गॉंव की धरती पीले पीले सरसो 
देखे हुए आज हुआ मुझे बरसो 
खेतो की मस्ती और बादल की हस्ती 
कहती है मुझसे आजाओ तुम बस्ती     l १ l 

                        पीपल के पत्ते, सावन की राते 
                        याद हमें है उनकी सताते 
                        पेड़ो की छाया और ममता की माया 
                        कहती है क्यों तुमने हमें भुलाया    l 2 l    

जीवन के दिन होते है छोटे 
आजाओ घर तुम मेरे बेटे 
पनघट की पानी, बचपन जवानी
कहती है मुझसे कहानी पुरानी 
सावन के दिन तो लगते सुहाने
फिर क्यों हो तुम इनसे बेगाने   l 3 l 

                        वह गॉंव की गोरियां, बागो की कलियाँ
                        बुलाती है मुझको अपने गलियां 
                        हम है यहाँ, पर मन है वहाँ
                        गॉंव की धरती बुलाये वहाँ   l 4 l 



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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

प्रेम


सही मायने में प्यार क्या है? एक छल अथवा जीवन की कमजोरी को दूर करने का उपाय अथवा दर्द दुःख को मिटाने के लिए दुसरो की छांव में खुद को समर्पित कर देने के तमन्ना  l 
        परन्तु झूठ प्यार को सच मानकर उसके पीछे दीवानगी की तरह दौड़ना भागना अपनी जिंदगी को तबाह करना ही है l जीवन में प्रेम अनिवार्य है और मैंने प्रेम किया है l  मेरा प्रेम अमर है क्योकि में उसे ईश्वर की तरह पूजता हूँ l  सच्चा प्रेम मरता नहीं मिटता नहीं है l  प्यार एक ऐसी चीज़ है जो कल था आज है और हमेशा रहेगा l अगर आपका प्यार सच्चा है तो बस और कुछ नहीं चाहिए आपको क्योकि दुनियाँ की सबसे बड़ी ताक़त आपके पास है l