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रविवार, 26 अप्रैल 2020

गॉंव की धरती

गॉंव की धरती
गॉंव की धरती

वह गॉंव की धरती पीले पीले सरसो 
देखे हुए आज हुआ मुझे बरसो 
खेतो की मस्ती और बादल की हस्ती 
कहती है मुझसे आजाओ तुम बस्ती     l १ l 

                        पीपल के पत्ते, सावन की राते 
                        याद हमें है उनकी सताते 
                        पेड़ो की छाया और ममता की माया 
                        कहती है क्यों तुमने हमें भुलाया    l 2 l    

जीवन के दिन होते है छोटे 
आजाओ घर तुम मेरे बेटे 
पनघट की पानी, बचपन जवानी
कहती है मुझसे कहानी पुरानी 
सावन के दिन तो लगते सुहाने
फिर क्यों हो तुम इनसे बेगाने   l 3 l 

                        वह गॉंव की गोरियां, बागो की कलियाँ
                        बुलाती है मुझको अपने गलियां 
                        हम है यहाँ, पर मन है वहाँ
                        गॉंव की धरती बुलाये वहाँ   l 4 l 



पाठको से निवेदन है कि गॉंव की धरती कविता कैसी लगी, अपनी राय टिपण्णी करके अवस्य बताएं l  



36 टिप्‍पणियां:

  1. जब भी बात जीवन और खुशहाली की होती है, तो लोग गांवों को ही याद करते हैं। क्यूंकि गॉंव स्वर्ग से भी अति सुंदर होता है।

    बहुत खूब लिखा भाई गॉंव की मिट्टी की ख़ुशबू की बात ही निराली है। (बाबा)

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  2. जब भी बात जीवन और खुशहाली की होती है, तो लोग गांवों को ही याद करते हैं। क्यूंकि गॉंव स्वर्ग से भी अति सुंदर होता है।

    बहुत खूब लिखा भाई गॉंव की मिट्टी की ख़ुशबू की बात ही निराली है। (बाबा)

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  3. Aapki Gaon m hum b jana chahenge..aise hin likhte reh bhai...bhut ache

    जवाब देंहटाएं
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    1. Jarur chalo bhai most welcome.... Aap log sahyog dete rahe aur mai likhta rahunga..... Bus comment like share follow karte rahiye

      हटाएं
  4. Hum hain Yahan par mann hai wahan.... Bahut umda likha hai bandhu...

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  5. गाँव की मिट्टी से जुड़े छंद अच्छे लगे ... सुंदर रचना ...

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  6. सरल और सुंदर प्रयास भरत जी । साधुवाद गाँव की याद दिलाने के लिए

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    उत्तर
    1. धन्यवाद अजय जी, आपके जितना निपुर्ण तो नहीं हूं परंतु लिखने का प्रयास करता हूं l

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