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शुक्रवार, 8 मई 2020

मेरी खता नहीं


शायरी - मेरी खता नहीं

यहाँ चाहतों का सिला नहीं
यहाँ दोस्तों का मज़ा नहीं
यहाँ जाने कैसी हवा चली 
रही दोस्तों में वफ़ा नहीं 
यहाँ जल गया मेरा आशियाँ
बादलों को पता नहीं 
तेरे दर पे दस्तक दे सकूँ 
ये हक़ तूने दिया नहीं 
मै राही हूँ राहें उम्मीद का 
मुझे मज़िलों का पता नहीं 
बेबस हूँ जहाँ में इस कदर 
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं 
मेरी सादगी में जुर्म है 
कोई और मेरी खता नहीं   

16 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ जल गया मेरा आसियाँ
    बादलों को पता नही line mast hai
    Nice bhai acha likha hai 👌👌
    (Baba)

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर भरत जी

    चाहतों
    आशियाँ
    बेबस
    नहीं ||

    सुधार कर लें इन्हें | लिखते रहिये पढ़ते रहिये

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद अजय जी, सुधार हो चुका है l

      हटाएं
  3. लाजवाब ,बहुत ही सुंदर

    जवाब देंहटाएं