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रविवार, 3 मई 2020

अनुकम्पा

अनुकम्पा 


व्यक्तियों  में प्रधान जो है बुद्धिमान 
बुद्धिमानों का कमान है भाषा ज्ञान 
ज्ञानों की विशेषता विविध भाषा ज्ञान 
विविध भाषाओँ के जानकार सचमुच महान   l  १ l 

                        है रत्न साहित्य, कला संस्कृति का 
                        साहित्य का है रत्न भाषा विशिष्टता 
                        इन रत्नों के जो भी है रत्नाकर,
                        उनको मेरा ये सत-नमस्कार 
                        दे कृपा स्वंग अब माँ शारदे 
                        पाउ मैं भाषा ज्ञान, जो हूँ तृण सामान 
                        जिनसे भी मिलेगी पथ, मै अनुचर उनका 
                        जीवन भर करूंगा उनका मै गुणगान   l  २ l     


पाठको से निवेदन है कि अनुकम्पा कविता  कैसी लगी, अपनी राय टिपण्णी करके अवस्य बताएं l  


19 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम हे भ्राता श्री।
    बस कुछ व्याकरनात्मक त्रुटियां हैं।

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  2. भरत जी शब्दों की अशुद्धियों पर ध्यान दें | रचना बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित है |
    व्यक्तियों , विशिष्टता आदि

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद अजय जी, सही कर दूँगा, सलाह के लिए धन्यवाद

      हटाएं
  3. टिप्पणी से मोडरेशन व्यवस्था को हटा दें

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी3 मई 2020, 3:16:00 pm

    Likhte rahiye achhi kavita hai

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  5. बेनामी3 मई 2020, 9:48:00 pm

    Bhai g first class ������

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  6. बहुत सुंदर ,जय माँ शारदे नमन

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